दीपावली

माँ लक्ष्मी आपसे प्रार्थना है
सभी के ऊपर समान रुप से
अपनी कृपादृष्टि बनाएं रखिए
माँ दिन-रात कठिन मेहनत
करने वाले किसानों को भूखे
पेट किसी रात न सोना पड़े।।
बेसहारों का सहारा प्रदान कर दे माँ
अहंकारियों के घर न जाना माँ
अधिक धन की अभिलाषा नहीं
मुझे..
पर माँ इतनी बुद्धि दे
कि..
मैं सुपथ पर अग्रसर रहूं सर्वदा
इतना धन तो जरुर दे माँ
कि..
मैं भले ही अपनी सामान्य
जरुरतें पूरी करुं या नहीं
पर हाँ माँ
अपने परिवार की सामान्य जरुरतें
पूर्ण करूं।।

हे विघ्नहर्ता श्री गणेश आपसे प्रार्थना है
सभी का मंगल कीजिए
दीन दुखियों के समस्त
विघ्नों को दूर कर दीजिए।।
आपकी कृपादृष्टि हम पर बनी रहे
लोभ,अहंकार से रहूं बहुत दूर
इतनी सद्बुद्धि प्रदान कीजिए।।।।✍️कुमार संदीप

#दीपावली

मायूसी ने डाला डेरा

मायूसी ने डाला डेरा

पाटलिपुत्र की धरा थर्रा उठी
हाँ टूट गए सपने
बह गए अरमान पानी की धार में
जल की अधिकता ने कर दिया
तबाह बर्बाद हो गया सबकुछ
जिस घर में खुशियों के दीप थे जलने वाले
उस घर में मायूसी ने डाला है डेरा।।

जल ही जल सर्वत्र
बच्चों की चीखें,बेसहारों की असहनीय पीड़ा ने
पूरी तरह झकझोर दिया था अंतर्मन को
कई सपने पूरे होने से पहले टूट गए
आँखों से आँसू रोके नहीं रुके विपत्ति की उस घड़ी में
हाँ,जिस घर में खुशियों के दीप थे जलने वाले
उस घर में मायूसी ने डाला है डेरा।।

कितनों का घर इस कदर है उजर
गया कि बसने में फिर लगेंगे कई बरस
तिनका-तिनका जोड़कर जिन्होंने
बनाया था अपना छोटा-सा आशियाना
उनका आशियाना है,उजर गया
हाँ,जिस घर में खुशियों के दीप थे जलने वाले
उस घर में मायूसी ने डाला है डेरा।।

क्या इस असहनीय आपदा के लिए
दोषी नहीं है राज्य की सरकार
हाँ दोषी है सरकार भी
अरे! दुःख दूर नहीं कर सकते बेसहारों का तो
दुःख कम करने के लिए सार्थक कदम तो उठाते
हाँ जिस घर में खुशियों के दीप थे जलने वाले
उस घर में मायूसी ने डाला है डेरा।।

✍️✍️कुमार संदीप
बिहार-मुजफ्फरपुर(ग्राम-सिमरा)

#Patna_flood

हे माँ दुर्गे

हाँ माँ,तू अब ले अवतार
हे माँ दुर्गे!
है एक प्रार्थना तुमसे
जानता हूँ, तू न करेगी
अपने पुत्र को उदास
पूरी करेगी मेरी अभिलाषा
हाँ माँ,तुमसे है एक प्रार्थना
इस कलयुग में दिन-ब-दिन
बढ़ रही है पापियों की संख्या
कुछ सज्जन है,
तो कुछ हैं दुर्जन
नारी को करते हैं
अपमानित और प्रताड़ित
उन दुराचारियों का हे माँ
तू जग से हमेशा के लिए अस्तित्व ही मिटा दे
हाँ माँ,जिनकी नजर तो है अच्छी
पर नारी के प्रति
नजरिया है बुरा
उन नीच पापियों को हे माँ
तू कर दे नेत्रहीन
ताकि कुकर्म करने से पहले
वो सोंचे सौ बार
हाँ माँ, तू दे ऐसी सजा उनको
कि नारी को अपमानित,प्रताड़ित करने से पूर्व
उनकी रुह काँप उठे
माँ तू ले अवतार,
इस युग में
दिन-ब-दिन स्थिति हो रही बेहाल
माँ तू ले अब अवतार,
और कर दे दुष्ट,दुराचारियों का संहार
हाँ माँ, तू ले अब अवतार!!

©कुमार संदीप

स्वरचित

माँ_दुर्गा

पिता


पिता!
पिता वो दुःख की पीड़ा से ग्रसित महान पुरुष हैं,जिसके चेहरे पर दुःख होते हुए भी खुशी की मुस्कान दिखाई देती है।

पिता!
पिता वो खजाना है,जिसके खजाने में असीमित खुशीयाँ लाल के लिए समर्पित होती हैं।

पिता!
पिता वो अनमोल रत्न हैं,जिनकी तुलना करना किसी कलमकार की कलम से संभव नहीं है।

पिता!
पिता वो महानपुरुष  हैं,जिनकी मौजुदगी ही घर को  चार चांद लगाती है।

पिता!
पिता वो जादूगर हैं,जो अपनी जादू की छड़ी से अपने लाल के तमाम दुखों को पल में दूर कर देते हैं।

पिता!
पिता वो पीड़ित इंसान है,जिसकी पीड़ा का एहसास उसे स्वयं नहीं होता।

पिता!
पिता  वो नीर  हैं,जिसकी एक बूँद का स्पर्श होने मात्र से ही औलाद का जीवन सँवर जाता है।

पिता!
पिता वो अनमोल रत्न है,जिसके न होने की पीड़ा आपको तब समझ आएँगी जब उनकी कुर्सी घर में आप रिक्त पाएँगे।

पिता!
पिता वो कोहिनूर है,जिसकी अहमियत का पता लगाना हो, तो पूछो उस पुत्र से जिसने अपने पिता को खोया है।

©कुमार संदीप
स्वरचित

मेरे पिता

क्यूँ छीन लिए असमय? हे ईश्वर!मेरे खुदा मेरे पिता को कर दो न वापस हे ईश्वर मेरे पिता को।

भला हुई क्या खता उस त्याग और तपस्या की साक्षात मूरत से? कि छीनी आपने मुझसे मेरे खुदा को कर दो न वापस हे ईश्वर मेरे पिता को।

जानता हूँ कि इस जगत में कोई न आया है सदैव जीने को परंतु क्या हे ईश्वर कोई जी भर जी भी नहीं सकता?कर दो वापस हे ईश्वर मेरे पिता को।

जिनकी उंगलियों को थाम मैंने चलना सिखा,अच्छे बुरे की समझ मिली जिनसे।हे ईश्वर!क्यूँ छीन लिए असमय मेरे ईश्वर मेरे पिता को।

©कुमार संदीप

Father_पिता

सैनिक

माँ की ममता की
छाँव से दूर
बहुत दूर आया हूँ
पिता जी के प्यार से
बहुत दूर
कोसों दूर
सैनिक बन
देश की रक्षा करने आया हूँ
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे
इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूंगा।

कंपकपाती ठंड में
बिना परवाह किए
देश की रक्षा के लिए
सरहद पर खड़ा हूँ
ओलों की बौछार हो
या हों पसीने से भीगा
पूरा बदन
फिर भी रहता हूँ डटा
देश रक्षा में
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूंगा।

अपनों से बहुत दूर
अपनों की यादों को
दिल में संजोए,
आखिर मैं भी तो इंसान हूँ
अपनों से मिलने की
ख्वाहिश मैं भी रखता हूँ
पर मेरे लिए
देश की रक्षा ही
मेरा दायित्व है
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूंगा।

मन बहुत दुखी होता है
जब सैनिकों के सौर्य पर
लोग प्रश्न उठाते हैं
मेरा तो हर पल हर क्षण
देश के लिए है
न्यौछावर हूँ राष्ट्र पर
राष्‍ट्र के प्रति
प्रेम समाया हुआ है
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस
तक वतन की रक्षा करूंगा।

©कुमार संदीप
जिला-मुजफ्फरपुर,ग्राम-सिमरा

शिक्षक हैं दीपक

भलें माँ ने ममता दी
पिता ने संस्कार दिए
पर …
शिक्षकों के उपकार
व आशीष से मनुज खड़े हो पाते हैं
स्वयं के पैरों पर
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही रोशन हैं सारा जहां

नन्हें बालकों के
हाथ पकड़कर
डांटकर ,दुलारकर
सीखाते हैं,अक्षर ज्ञान
जिनसे बच्चे आगे चलकर
बनते हैं महान
और करते हैं नेक काम
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही रोशन हैं सारा जहां।

#Teacher_शिक्षक

शिक्षकों की डांट में
छूपा रहता है प्यार
उन्हीं की डांट व ज्ञान से
बच्चे बना पाते मंजिल का रास्ता
दूर कर पाते हैं
अज्ञान के अँधीयारों को
और बन जातें हैं
सूर्य के समान अद्वितीय
शिक्षक हैं दीपक
इनसे हीं रोशन है सारा जहां

लड़खड़ाते कदमों की
छड़ी होते हैं शिक्षक
समुद्र की गहराई से भी
गहरे गुणों से पूर्ण
साक्षात ईश्वर स्वरूप होते हैं शिक्षक
हरपल जिनके आशीर्वाद से
हम लोग सम्मान पाते हैं
वह इंसान और कोई नहीं
वह हैं शिक्षक
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही
रोशन है सारा जहां

©कुमार संदीप

प्रेरणादायक विचार कुमार संदीप की कलम से

प्रेरणादायक विचार की समीक्षा की है,साहित्य जगत के सुप्रसिद्व कवि,समीक्षक, लेखक आदरणीय राजेश शर्मा “पुरोहित” जी ने—-

ई -पुस्तक समीक्षा

व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होगी कुमार संदीप की कृति “प्रेरक विचार

कृति:- ई पुस्तक-प्रेरक विचार
लेखक:- कुमार संदीप
पृष्ठ:-101
संस्करण:- 2019(प्रथम)
समीक्षक:- “राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित” मनुष्य की जिन्दगी बदल देते हैं सकारात्मक विचार। यदि सुविचारों का हृदय में प्रवेश हो जाये तो जिंदगी जन्नत सी बन जाती है। जीवन मे कई झंझावतों का सामना करना होता है। हम कई बार मायूस होकर बैठ जाते हैं। ऐसे समय मे हमें सुविचार पढ़ने को मिल जाये सुनने को मिल जाये तो जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल जाये ऐसा आभास होता है। ऐसा ही सार्थक प्रयास किया है अपने विचारों का बेहतरीन ई संकलन प्रकाशित कर युवा लेखक कुमार संदीप जी ने। इनके प्रेरणादायक विचारों में ये शतक जिंदगी में नया उजाला भरने में सक्षम है। आइये सौ विचारों में क्या खास लिखा कुमार संदीप जी ने। प्रस्तुत कृति में कुमार संदीप ने लिखा कि मनुष्य को अहंकार नहीं करना चाहिए। विनम्रता एवम व्यवहार ही आपका परिचय हो। मधुर वचन बोलें। अहंकार से व्यक्ति पतित होता है। खुद को श्रेष्ठ व दूसरे को कभी तुच्छ न समझो।

आजकल लोग सड़कों पर वाहन बड़ी तीव्र गति से चलाते है यातायात के नियमों का उल्लंघन कर शराब पीकर सिगरेट पीते हुए मोबाइल चलाते हुए गाड़ी चलाते है जिससे आये दिन दुर्घटनाएं होती है। खुद की सुरक्षा व दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए वाहन चलाना चाहिए। हेलमेट का प्रयोग जरूरी है।
पापा की भवनाओं की कद्र करो उनके सपने को पूर्ण करने के लिए निष्ठा लगन से पूरा करें। ऐसा करने पर पापा तो खुश होंगे ही आपको भी खुशी मिलेगी जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकोगे।
आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसका मुख्य कारण है कि लोगों में आत्मविश्वास नहीं है। अवसाद व तनावों से दूर रहें।
स्वार्थवाद बढ़ता जा रहा है। हमें निर्धन बेसहारों का सहारा बनने की आवश्यकता है। स्वार्थ के कारण व्यक्ति अंधा होता जा रहा है।
हमेशा बड़े सपने देखो। मुश्किलों का हौंसलो के साथ सामना करो। जो लोग बड़े पदों पर पहुँचे उन्होंने बड़ी सोच रख कर कठिन मेहनत की।
माता पिता गुरु का हमेशा आदर करो। उनके बताए सत्मार्ग पर चलो। जिस परिवार में बड़ों का सम्मान होता है वह परिवार समाज मे पूजित होता है।
अंधकार से उजाले की ओर यदि कोई ले जाता ह तो वह शिक्षक है कभी शिक्षकों का अपमान न करो। ज्ञान की ज्योति जलाए रखना है तो शिक्षकों का आदर करना सीख लो।
लोग धन कमाने में रात दिन लगे है मगर ईमानदारी से कमाया धन ही टिकता है। इसलिए ईमानदारी से रुपया कमाए ।
मनुष्य की आर्थिक स्थिति असंतुलित हो जाये मगर मानसिक स्थिति संतुलित रखिये कड़ी मेहनत करें। जिसने अपने करीबी को खोया है वह ही दर्द को समझता है। अतः जिंदगी को हंसते मुस्कराते जीना चाहिए
रिश्तों के लिए लेखक लिखता है रिश्तों को प्रेम विश्वास के जल से सींचो। बुजुर्गों के साथ वक़्त गुजारो।
गरीब परिवारों की जितनी हो सके मदद करो। उनके प्रति सकारात्मक विचार रखो।
रक्षा बंधन भाई बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार है इस दिन भाई बहन को रक्षा का वचन जरूर दे।
आजकल लोगों ने भौतिक विलासिता के साधन तो बटोर लिए है मगर इंसानियत का अकाल दीखता है। लोग अधर्म की ओर बढ़ रहे हैं।
मुश्किलों को देख भागना नहीं चाहिए। आत्मविश्वास रख डट कर मुकाबला करो। स्वभाव सुन्दर बनाओ। अनाथ बच्चों के लिए आगे आएं।
आज चरित्र का अकाल दीखता है। व्यक्ति बाह्य सुंदरता को महत्व देने लगा है। मनुष्य की असली सुंदरता तो उसका चरित्र है अतः चरित्र निर्माण पर ध्यान दें।
मित्रता उसी से करें जो दुख में आपका साथ दें। धोखा देने वाले मित्र जीवन मे विष घोल देते हैं।
सफल व्यक्ति वही बनता है जो लगातार अपने लक्ष्य को ध्यान में रख कार्य करे।
कुमार संदीप जी मूक पशुओं जानवरों के प्रति दया भाव रखने की बात लिखते हैं।महावीर स्वामी ने कहा था किसी जीव को मत सताओ। हम सभी को भूखे प्यासे पशुओं जानवरों के प्रति दया रखनी चाहिए।
गरीब बेसहारा लोगों के प्रति भी सहानुभूति रख उनकी सेवा के लिए आगे आने की जरूरत है।
आजकल कई स्वयं सेवी संस्थाएं इस हेतु कार्य करने लगी है।
दुखों से घिर जाने पर भगवान को सभी याद करते है। हमें ऐसे समय घबराना नहीं चाहिए। डटकर मुश्किलो का सामना करना चाहिए।
सैनिक जो देश की रक्षा करते शहीद हो गए उनके परिवारों के लिए सरकार व समाज को सहायता हेतु आगे आना चाहिए।
दूसरों की सफलता देख प्रसन्न होना चाहिए। हम ईर्ष्या की भावना रखते है जो गलत है।
हम सद्विचार तो पढ़ लेते है मगर जीवन मे उनको आत्मसात नहीं करते इसीलिए पीछे रह जाते हैं
वृद्धावस्था में मदद करें बुजुर्गों की। विचारों का तालमेल बिठाएं। बुढापा बचपन का पुरागमन है। इसलिए इतना ही ध्यान रखो जितना आप छोटे बच्चों का रखते हो।
मित्रता अच्छी पुस्तकों से करो जिसमे जीवन जीने की कला लिखी है।
किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुचाएं।रिश्तों की अहमियत समझो। याद रखो विपत्ति के समय रिश्ते ही काम आते हैं।
बेटियां बेटों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है आओ बेटियों को पढ़ाएं उन्हें आगे बढ़ाएं।
जिंदगी में दुख दर्द आते ही रहते है इनसे घबराना नहीं चाहिए। जिंदगी एक अनमोल तोहफा है। यदि आप बड़ी शख्सियत बनना चाहते हो तो कड़ी मेहनत करो अपने अंदर की कमियां खोजो और सुधार करो।
योग के लिए थोड़ा समय निकाल लोगे तो रोग समाप्त हो जाएंगे।
जल की बचत करो। जितनी जरूरत हो उतना ही उपयोग करो क्योंकि जल ही जीवन है। जल बिना सब सुना है।
क्रोध आने पर शीतल जल पी लो। क्रोध समाप्त हो जाएगा। जीवन मे सारे अच्छे कार्य क्रोध से बिगड़ जाते है। कई रोग क्रोध के कारण हो जाते हैं। क्रोध न करो कभी भी।
रचनाओं को पढ़ने की प्रवृति जीवित रखिये जिससे जीवन मे प्रसन्नता आएगी। सुख की कुंजी मिल जाएगी।
मादक पदार्थों के सेवन से जीवन नारकीय बन जाता है इसलिए इनसे बचो। रोगों को खुला आमंत्रण मत दो। मादक पदार्थों के सेवन से बचो
दहेज लेना व दहेज देना दोनों अपराध है। समाज मे व्याप्त इस कुप्रथा का अंत करो।
दुख में लोग भगवान को याद करते है लेकिन यह नहीं सोचते कि इस दुख का कारण मेरी कुप्रवृत्तियाँ है। अतः संस्कारों को त्यागो मत। लक्ष्य के प्रति आत्मविश्वास से बढ़ते रहो। दुख कोसों दूर रहेगा।
कुमार संदीप जी बहुत सुंदर बात लिखते है जो इस कृति के प्राण है” जिनका चित्र उत्कृष्ट दिखता है उनका चरित्र भी उत्कृष्ट हो ।”
यह कृति जीवन निर्माण के लिए गागर में सागर सी है। व्यक्तित्व निर्माण में बड़ी सहायक है। कुमार संदीप जी के सुविचार बड़े प्रेरणादायक है। आज की युवा पीढ़ी को ऐसे विचारों को पढ़ने की जरूरत है। साहित्य जगत में ये कृति अपनी पहचान बनाये। इसी शुभकामना के साथ कुमार संदीप जी को हार्दिक बधाई।

  • राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”
    समीक्षक, कवि, साहित्यकार
    श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान
#Motivational

बेटियाँ

बेटियाँ

घर में चहुंओर रौनक ही रौनक फैलाती हैं बेटियाँ,
ईश्वर के द्वारा तोहफे में दी हुई अनमोल रत्न होती हैं बेटियाँ।

प्रेम की मूरत अलौकिक अद्वितीय होती हैं बेटियाँ,
सूने आँगन में हरियाली बिखर देती हैं बेटियाँ।

सूर्य समान अद्वितीय व परोपकारी होती हैं बेटियाँ,
पिता पुकारते हैं जिसे बेटा कहकर वह होती हैं बेटियाँ।

पलभर में हो जाती है दूर ऐसी होती हैं बेटियां,
विवाह पश्चात खुद के घर से बहुत दूर हो जाती हैं बेटियाँ।

कुल का नाम केवल बेटे ही नहीं, रोशन करती हैं बेटियाँ,
करती है खुशियों का त्याग वो कोई और नहीं होती हैं बेटियाँ।

न करो स्वार्थी मानव बेटियों की हत्या देवी तुल्य होती हैं बेटियाँ,
इस सृष्टि को रचने वाली, सँवारने वाली होती हैं बेटियाँ।

#Daughters_Day #बेटी_दिवस

©कुमार संदीप
स्वरचित
शहर-मुजफ्फरपुर
राज्य-बिहार
इमेल- worldsandeepmishra002@gmail.com
ग्राम-सिमरा

नन्ही चींटी

नन्ही चींटी नहीं रुकती है
हर पल चलती है
कार्य पूर्ण न हो तब तक
नहीं थकती है
इंसानों को सिखलाती है
रुक मत तू
गर रुक जायेगा
मंजिल तक नहीं पहुंच पायेगा

नन्ही चींटी गिरती है
कई बार
दिवारों पर चढ़ते वक्त
फिर भी खुद को संभालती है
वह जानती है,
जरुरी नहीं सफलता
एक प्रयास में ही मिले
चिंटी सिखलाती है
तू रुक मत
निरंतर प्रयास कर

नन्ही चींटी सिखलाती है
एकता के साथ रहना
चलती है सपरिवार कतारबद्ध सिखलाती है
इंसान तू हार मत
तू थक मत
तू चलता चल
तू गिरेगा तभी तो उठेगा

नन्ही चींटी देती है संदेश
मौन रहकर भी कार्य करना
जब तक मंजिल प्राप्त न हो
न थकना तू
निरंतर प्रयास करना
देती है संदेश
तू रुक मत थक मत
इंसान जो तू रुका
मूल उद्देश्य नहीं पायेगा

नन्ही चींटी देती है संदेश
इंसान तू समय को दे महत्व
जब तक मंजिल न मिले तू
थक कर मत बैठ
मिलेगी मंजिल निश्चित ही
तू बस बिना थके कर्म कर
तू कुछ सबसे अलग कर

©कुमार संदीप
स्वरचित,राज्य-बिहार, जिला-मुजफ्फरपुर, ग्राम-सिमरा

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