नन्ही चींटी

नन्ही चींटी नहीं रुकती है
हर पल चलती है
कार्य पूर्ण न हो तब तक
नहीं थकती है
इंसानों को सिखलाती है
रुक मत तू
गर रुक जायेगा
मंजिल तक नहीं पहुंच पायेगा

नन्ही चींटी गिरती है
कई बार
दिवारों पर चढ़ते वक्त
फिर भी खुद को संभालती है
वह जानती है,
जरुरी नहीं सफलता
एक प्रयास में ही मिले
चिंटी सिखलाती है
तू रुक मत
निरंतर प्रयास कर

नन्ही चींटी सिखलाती है
एकता के साथ रहना
चलती है सपरिवार कतारबद्ध सिखलाती है
इंसान तू हार मत
तू थक मत
तू चलता चल
तू गिरेगा तभी तो उठेगा

नन्ही चींटी देती है संदेश
मौन रहकर भी कार्य करना
जब तक मंजिल प्राप्त न हो
न थकना तू
निरंतर प्रयास करना
देती है संदेश
तू रुक मत थक मत
इंसान जो तू रुका
मूल उद्देश्य नहीं पायेगा

नन्ही चींटी देती है संदेश
इंसान तू समय को दे महत्व
जब तक मंजिल न मिले तू
थक कर मत बैठ
मिलेगी मंजिल निश्चित ही
तू बस बिना थके कर्म कर
तू कुछ सबसे अलग कर

©कुमार संदीप
स्वरचित,राज्य-बिहार, जिला-मुजफ्फरपुर, ग्राम-सिमरा


Published by Sandeep Kumar mishra

विद्यार्थियों के हित में सदैव तत्पर रहना मूल लक्ष्य है- गुरु दीक्षा क्लासेज(Sandeep kumar mishra)

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