बूढ़ा हो गया हूँ

बूढ़ा हो गया हूँ

चक्कर खा
कभी-कभी गिर जाता हूँ
रखता हूँ बेखबर
इस खबर से तुमको
मेरे लाल कि…
न हो तू परेशान
अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ

फटे कपड़ों पर रफू करवा
काम चलाता हूँ
न रखता हूँ ख्वाहिशें
नयी कपड़ों कि
मेरे लाल अब मैं बूढ़ा है गया हूँ

मेरे लाल तुम्हें अब भी
उतना ही चाहता हूँ
बस …
काम करने के लायक नहीं
इसलिए तुम्हें खलता हूँ
अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ

नित्य नये बहाने बना
खुश रह लेता हूँ
जानता हूँ दुःख की पीड़ा को
फिर भी …
मुस्कान लिए चलता हूँ
अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ

पोते-पोतियों से
मिलन करने को यह आँख
नम कर लेता हूँ
मन ही मन मिल लेता हूँ
अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ

चश्मे भी अब
देखने में  साथ नहीं देते
फिर …
तुमसे क्या सहारे की उम्मीद करूँ
अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ

लड़खड़ाते कदमों को
किसी सहारे थाम लेता हूँ
अब शरीर भी साथ नहीं देता
क्योंकि…
अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ

सपने संजोया था कि …
मेरा लाल बनेगा
बुढ़ापे में मेरे सहारे की छड़ी
काश! यह संभव हो पाता
अब मैं बूढ़ा हो गया  हूँ

मेरे लाल !
आज मैं जिस दशा में हूँ
कल तुम भी होगे
मत भूलना इस बात को
कि…
अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ

©कुमार संदीप

बुजुर्गों की पीड़ा का एहसास बुजुर्ग ही जानते हैं।काश! हम पुत्र उनकी पीड़ा समझते।ईश्वर भी उसी की सुनता है,जो बड़ों की सेवा करता है।-कुमार संदीप

Published by Sandeep Kumar mishra

विद्यार्थियों के हित में सदैव तत्पर रहना मूल लक्ष्य है- गुरु दीक्षा क्लासेज(Sandeep kumar mishra)

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