कविता-उड़ती पतंग

नव सृजन विहान मंच का हृदयतल से आभार।निर्णायक मंडल का कोटिशः आभार।गुरूजनों व माता-पिता के स्नेहाशीष व मित्रों के अपार स्नेह व प्रेम से पतंग विषय पर आयोजित काव्य प्रतियोगिता में मुझे तृतीय स्थान मिला।गुरुजनों व मित्रों का स्नेहाशीष सदैव बना रहे यही अभिलाषा है।सादर_प्रणाम

प्रतियोगिता में विजेता रही रचना===============

पतंग!हाँ उड़ती पतंग देती है संदेश सर्वदा
ऊंचाई पर पहुंच जाओ भले ही
ख़ुद की पहचान मत भूलना कभी।।

पतंग!हाँ उड़ती पतंग सिखलाती है सर्वदा
एक बार हौसले की उड़ान तो भर मनुज
तुझे सफलता निश्चित मिलेगी बस तू प्रयास कर निरंतर।।

पतंग!हाँ उड़ती पतंग देती है प्रेरणादायक संदेश कि
मनुज रिश्तों की डोर मजबूत रखो सदा
अपनों के सहयोग और साथ के बिना है आगे बढ़ना नामुमकिन।।

पतंग!हाँ उड़ती पतंग देती है संदेश हम इंसानों को
आत्मविश्वास और रग-रग में जुनून यदि हो सफलता पाने की
सफलता इक दिन मिल जाती है निश्चित ही।।

©कुमार संदीप
मौलिक,स्वरचित

ग्राम-सिमरा,जिला-मुजफ्फरपुर, अंचल-बंदरा,राज्य-बिहार

Published by Sandeep Kumar mishra

विद्यार्थियों के हित में सदैव तत्पर रहना मूल लक्ष्य है- गुरु दीक्षा क्लासेज(Sandeep kumar mishra)

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