कल रात सपने में


कल रात सपने में
पापा को मैंने देखा
चुपचाप बिस्तर पर सोए
टकटकी निगाहों से मुझे
देख रहे थे,ऐसा लग रहा था
मुझसे बहुत कुछ कहना चाह रहे थे।

कल रात सपने में
पापा मेरी नजरों के सामने थे
अनायास मेरे चेहरे पर मुस्कान खिल गई
मुस्कान भी क्यूं न खिले?
आखिर कई वर्ष बाद सपने में ही सही
मेरी नजरों को पापा का दर्शन जो हुआ
पापा तो असमय ही काल के ग्रास बन गए
हाँ, हमसे बहुत दूर चले गए।

कल रात सपने में पापा आए थे
मृत्यु के पश्चात पापा न जाने कहाँ चले गए?
न कोई चिट्ठी न कोई संदेश न कोई टेलिफोन
न जाने पापा कहाँ चले गए?
जमाने वाले कहते हैं कि तेरे पापा मृत्युलोक गए हैं
क्या मृत्युलोक में जाने वाला लौटकर वापस नहीं आता?
शायद नहीं,हाँ नही।

कल रात सपने में
पापा को मैंने अपनी नजरों के सामने देखा
पापा को देखते ही मेरी आँखें नम हो गईं
इतने बरस बाद जो देखा मैंने पापा को
काश! ये सपना सपना न होता,
सच में पापा आप लौट आते हमेशा के लिए
फिर से हमारे पास,
पर ये नामुमकिन है,
क्योंकि मृत्युलोक में जाने के पश्चात
आत तक कोई वापस नहीं लौटा है
तो फिर आप कैसे वापस आयेंगे?

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
ग्राम-सिमरा
जिला-मुजफ्फरपुर

#पापा

Published by Sandeep Kumar mishra

विद्यार्थियों के हित में सदैव तत्पर रहना मूल लक्ष्य है- गुरु दीक्षा क्लासेज(Sandeep kumar mishra)

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