जिंदगी
मत कर घमंड
इस मिट्टी के शरीर पर
ज़िंदगी भर जिस लाल पर
तू सबकुछ लुटाएगा
अंत समय में वह लाल
तुझे कफन भी नापकर
दिलाएगा
यही ज़िंदगी है
दुःख रहने के बहाने
छोडकर
खुश रहने का हुनर ढूंढ
कोई न साथ तेरा देगा
तू आया था अकेला
और अकेला ही
इस जग से जाएगा
यही ज़िंदगी है
भाई में भाईचारे का अभाव
देश से देश प्रेम का अभाव
बेटे का पिता से टकराव
ये सभी स्थितियां
देखने को मिलती हैं आज
यही ज़िंदगी है
©कुमार संदीप

