हाँ माँ,तू अब ले अवतार
हे माँ दुर्गे!
है एक प्रार्थना तुमसे
जानता हूँ, तू न करेगी
अपने पुत्र को उदास
पूरी करेगी मेरी अभिलाषा
हाँ माँ,तुमसे है एक प्रार्थना
इस कलयुग में दिन-ब-दिन
बढ़ रही है पापियों की संख्या
कुछ सज्जन है,
तो कुछ हैं दुर्जन
नारी को करते हैं
अपमानित और प्रताड़ित
उन दुराचारियों का हे माँ
तू जग से हमेशा के लिए अस्तित्व ही मिटा दे
हाँ माँ,जिनकी नजर तो है अच्छी
पर नारी के प्रति
नजरिया है बुरा
उन नीच पापियों को हे माँ
तू कर दे नेत्रहीन
ताकि कुकर्म करने से पहले
वो सोंचे सौ बार
हाँ माँ, तू दे ऐसी सजा उनको
कि नारी को अपमानित,प्रताड़ित करने से पूर्व
उनकी रुह काँप उठे
माँ तू ले अवतार,
इस युग में
दिन-ब-दिन स्थिति हो रही बेहाल
माँ तू ले अब अवतार,
और कर दे दुष्ट,दुराचारियों का संहार
हाँ माँ, तू ले अब अवतार!!
©कुमार संदीप
स्वरचित

