सैनिक

माँ की ममता की
छाँव से दूर
बहुत दूर आया हूँ
पिता जी के प्यार से
बहुत दूर
कोसों दूर
सैनिक बन
देश की रक्षा करने आया हूँ
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे
इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूंगा।

कंपकपाती ठंड में
बिना परवाह किए
देश की रक्षा के लिए
सरहद पर खड़ा हूँ
ओलों की बौछार हो
या हों पसीने से भीगा
पूरा बदन
फिर भी रहता हूँ डटा
देश रक्षा में
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूंगा।

अपनों से बहुत दूर
अपनों की यादों को
दिल में संजोए,
आखिर मैं भी तो इंसान हूँ
अपनों से मिलने की
ख्वाहिश मैं भी रखता हूँ
पर मेरे लिए
देश की रक्षा ही
मेरा दायित्व है
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूंगा।

मन बहुत दुखी होता है
जब सैनिकों के सौर्य पर
लोग प्रश्न उठाते हैं
मेरा तो हर पल हर क्षण
देश के लिए है
न्यौछावर हूँ राष्ट्र पर
राष्‍ट्र के प्रति
प्रेम समाया हुआ है
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस
तक वतन की रक्षा करूंगा।

©कुमार संदीप
जिला-मुजफ्फरपुर,ग्राम-सिमरा

Published by Sandeep Kumar mishra

विद्यार्थियों के हित में सदैव तत्पर रहना मूल लक्ष्य है- गुरु दीक्षा क्लासेज(Sandeep kumar mishra)

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