भलें माँ ने ममता दी
पिता ने संस्कार दिए
पर …
शिक्षकों के उपकार
व आशीष से मनुज खड़े हो पाते हैं
स्वयं के पैरों पर
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही रोशन हैं सारा जहां
नन्हें बालकों के
हाथ पकड़कर
डांटकर ,दुलारकर
सीखाते हैं,अक्षर ज्ञान
जिनसे बच्चे आगे चलकर
बनते हैं महान
और करते हैं नेक काम
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही रोशन हैं सारा जहां।

शिक्षकों की डांट में
छूपा रहता है प्यार
उन्हीं की डांट व ज्ञान से
बच्चे बना पाते मंजिल का रास्ता
दूर कर पाते हैं
अज्ञान के अँधीयारों को
और बन जातें हैं
सूर्य के समान अद्वितीय
शिक्षक हैं दीपक
इनसे हीं रोशन है सारा जहां
लड़खड़ाते कदमों की
छड़ी होते हैं शिक्षक
समुद्र की गहराई से भी
गहरे गुणों से पूर्ण
साक्षात ईश्वर स्वरूप होते हैं शिक्षक
हरपल जिनके आशीर्वाद से
हम लोग सम्मान पाते हैं
वह इंसान और कोई नहीं
वह हैं शिक्षक
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही
रोशन है सारा जहां
©कुमार संदीप
