पिता


पिता!
पिता वो दुःख की पीड़ा से ग्रसित महान पुरुष हैं,जिसके चेहरे पर दुःख होते हुए भी खुशी की मुस्कान दिखाई देती है।

पिता!
पिता वो खजाना है,जिसके खजाने में असीमित खुशीयाँ लाल के लिए समर्पित होती हैं।

पिता!
पिता वो अनमोल रत्न हैं,जिनकी तुलना करना किसी कलमकार की कलम से संभव नहीं है।

पिता!
पिता वो महानपुरुष  हैं,जिनकी मौजुदगी ही घर को  चार चांद लगाती है।

पिता!
पिता वो जादूगर हैं,जो अपनी जादू की छड़ी से अपने लाल के तमाम दुखों को पल में दूर कर देते हैं।

पिता!
पिता वो पीड़ित इंसान है,जिसकी पीड़ा का एहसास उसे स्वयं नहीं होता।

पिता!
पिता  वो नीर  हैं,जिसकी एक बूँद का स्पर्श होने मात्र से ही औलाद का जीवन सँवर जाता है।

पिता!
पिता वो अनमोल रत्न है,जिसके न होने की पीड़ा आपको तब समझ आएँगी जब उनकी कुर्सी घर में आप रिक्त पाएँगे।

पिता!
पिता वो कोहिनूर है,जिसकी अहमियत का पता लगाना हो, तो पूछो उस पुत्र से जिसने अपने पिता को खोया है।

©कुमार संदीप
स्वरचित

Published by Sandeep Kumar mishra

विद्यार्थियों के हित में सदैव तत्पर रहना मूल लक्ष्य है- गुरु दीक्षा क्लासेज(Sandeep kumar mishra)

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